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जीवामृत बनाने का सबसे आसान तरीका


 जीवामृत बनाने का सबसे आसान तरीका

क्या आप जैविक खेती करते हैं ? तो आपने जीवामृत के बारे में  जरूर सुन रखा होगा। अगर नहीं सुन रखा है तो कोई बात नहीं। जैसा कि इसके नाम से विदित  हो रहा है जीवामृत  (जीव+अमृत ) इसका मतलब ये हुआ -जीवों के लिए अमृत । कौन से जीवों के लिए अमृत -हमरी जमीन में पाएं जानेवाले जीवों के लिए।यही जीव हमरी फ़सल के पौधे के लिए नाईट्रोजन , कैल्शियम व अन्य पोषक तत्वों को पूरा करते हैं जमीन में जीवामृत डालने के बाद पौधे को पोषक तत्वों को प्रदान करने वाले सूक्ष्म जीवों की संख्या लाखों व करोड़ों में बढ जाती है  जिससे हमारी फ़सल को पोषक तत्व अधिक मात्रा में मिलेंगे। फलस्वरूप हमारी फ़सल की वृद्धि अधिक होगी। वृद्धि अधिक होगी तो फसल अच्छी होगी। फ़सल अच्छी होगी तो किसान भी दिन दोगनी रात चौगुनी उन्नति करेगा। 
                         इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आप किस प्रकार से अपने घर पर ही जीवामृत बना सकते हैं। वो भी विना किसी खर्च के बराबर ही। इसके लिए आप इस पोस्ट को अंत तक पढिए। ताकि आपसे कोई जानकारी छुट न जाए।       

        हलो दोस्तों, 
                                       मैं आप सभी लोगों को Total Excel  ब्लॉग की साईट "www. totalcexcel.com " की तरफ़ से आप सभी लोगों का फिर से बहुत-बहुत स्वागत करता हूं इस post में हम आपको बताएंगे कि जीवामृत किस प्रकार से बनाया जाता है
इसके लिए आपको एक 200 लिटर  के ड्रम को पानी से आधे से ज्यादा भर लेना ह उसके बाद आपको चित्र में दिखाएं अनुसार एक परात में चार से पांच लिटर गाय माता का गोमूत्र डालें।
 अगर आपको  का गोमूत्र न मिले तो आप भैंस का मुत्र भी ले सकते हैं जहां तक हो सके। आप गाय का गोमूत्र लेवें। क्योंकि गोमूत्र में जीवाणुओं  अधिक मात्रा में पाएं जाते हैं उसके बाद आपको पांच से सात किलोग्राम गाय का गोबर लेकर गोमूत्र में अच्छी तरह से मिला लेना

है। इसके लिए आप जितना लीटर गोमूत्र लेते हैंं उतना ही किलोग्राम गोबर लेेंगे तो अच्छा रहेगा। अगर  आप गोमूत्र लेते 
हैंं तो गोबर भी गाय का होगा तो अच्छा रहेगा। येेेे माने जिस पशु का     मूत्र उसी पशु का गोबर हो    अच्छा रहेगा।                          

उस हैं तो हो के बाद आपको इस घोल में किसी भी दाल का आटा मिला लेना है मैंने 1.5 किलोग्राम चैने का आटा लिया है

   अगर आपके पास सरसो खली हो तो इस घोल में मिला लेना है अगर आप के पास सरसो की खली न हो तो आप साबत सरसो व सरसों को पिसकर डाल सकते हैं
उसके बाद आपको इस घोल में आपको जीवाणुओं से भरपूर मिट्टी मिला लेना है बड. के पेड़ के नीचे जीवाणु करोड़ों व खरबों की मात्रा में मिल जाते हैं अगर आपको बरगद के पेड़ की मिट्टी ना मिले तो आप पिपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी को ले लेना है
अगर आपको ऊपर बताए गए किसी पेड़ की मिट्टी उपलब्ध ना हो तो आप किसी मेड  या ऐसे जगह से मिट्टी को ले लेना है जहां पर कई वर्षों से पेस्टिसाइड्स न डाला गया हो।अब इस मिट्टी को इस घोल में अच्छी तरह से मिला लेना है
उसके बाद आपको इस घोल में एक से दो किलोग्राम  गुड़ के घोल को डाल देना है
  अगर आपके पास Waste Decomposer का घोल उपलब्ध हो तो इस घोल में अच्छी तरह से मिला लेना है अब आपको इस पूरे घोल को 200 लीटर के ड्रम में डालकर एक डंडे की सहायता से घड़ी के चलने की दिशा में  कम से कम पांच मिनट तक घुमाते रहना है इस प्रकार आप इस घोल को सात से नौ दिन तक सुबह-शाम दोनों समय एक डंडे की सहायता से हिलाते रहना है नौ दिन के बाद आपका जीवामृत बनकर तैयार हो जाएगा।
अब आपको जीवामृत को अपनी फसल पर छिड़काव कर देना है

जीवामृत के लाभ :-

1.जीवामृत के छिड़काव से फ़सल में अभुतपूर्व बढवार देखने को मिलता है।
2. फसल की रुकी हुई ग्रोथ को फिर से ग्रोथ करके पोधे को हरा भरा बनाने में सहायक है
3. पोधे में प्रकाश श्वलेषण को बढ़ावा देता है
4. फसल उत्पादन में वृद्धि करता है

छिड़काव विधी:-


1. किसान भाइयों जीवामृत को आप किसी ट्रैक्टर के स्प्रेयर या हाथ वाले स्प्रेयर से आसानी से छिड़काव कर सकते हैं
2. आप अपने ड्रम के साईड में एक नल लगाकर बहते पानी में फ़सल को जीवामृत दे सकते हैं
3. वेन्चूयेरी के द्वारा भी जीवामृत को अपनी फसल में दे सकते हैं जो भी माध्यम आपको अच्छा लगे आप अपना सकते हैं
 

अंतिम शब्द

दोस्तों मैं समझता हूं कि आपको ये आर्टिकल अच्छी तरह से समझ में आ गया होगा। अगर आपको इस पोस्ट से संबंधित अधिक जानकारी लेना है तो आप मुझे comments कर सकते हैं आपको ये आर्टिकल पसंद आएं तो आप इससे अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें व जाते समय नीचे follow button जरूर दबाएं। 
                      जयहिंद

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